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क्यों की महंगाई का जमाना है !

सुकून मिलता है दो लफ़्ज कागज पर उतार कर, कह भी देता हूँ और ....आवाज भी नहीं होती ||
सुकून मिलता है दो लफ़्ज कागज पर उतार कर, कह भी देता हूँ और ....आवाज भी नहीं होती ||
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मेरे साथियों इस दिवाली में तुम

मेरा फोन-संदेस का इंतजार न करना

क्यों की महंगाई का जमाना है

और लक्ष्मी जी को बुलाना है

फिर हमें आलू-प्याज भी तो खाना है

लईया-गट्टा तो बाद में लाना

दाल-भात को पहले बचाना

दिवाली तो एक बहाना है

हमें तो सिर्फ लक्ष्मी जी को बचाना है

और सिर्फ लक्ष्मी जी को बचाना हैं ||

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