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जरूरत अन्धविश्वास पर पूर्णता आश्रित हो जाती है !

सुकून मिलता है दो लफ़्ज कागज पर उतार कर, कह भी देता हूँ और ....आवाज भी नहीं होती ||
सुकून मिलता है दो लफ़्ज कागज पर उतार कर, कह भी देता हूँ और ....आवाज भी नहीं होती ||
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सुन कर अजीब लगता है की एक तोता जो बेचारा कई दिनों से छोटे से पिंजरे में कैद है जिसे खुद नहीं पता की मेरा मालिक मुझे कब भोजन देगा, वो हमारा भविष्य बताता है | चंद पैसे से जो बताते है वो सायद खुद भी नहीं जानते की आगे क्या होने वाला है , और आज कल तो ये व्यापार बन चुका है
जहाँ देखो एक न एक नमूने मिल जाते है कुछ हाथ देख कर बताते है तो कुछ बिना देखे ही बताते है
मुझे तब बहुत बुरा लगता है जब व्यक्ति अपना अतीत या भविष्य पता करने के बाद अधोमुख होकर बैठ जाता है और अपने आप को अंकिचन सा महसूस करता है अगर बात उसके पक्ष में नहीं हुयी तो ………
वाही व्यक्ति अपना सारा काम धाम छोड़ कर सिर्फ उसी चिंता में लगा रहता है जो भविष्यवाणी उस बाबा ने बताई थी फिर उसका हितैसी उसे समझाता है की ये बाते सही नहीं होती जब कभी विश्वास कर लेता हूँ पर ध्यान नहीं देता हूँ तुम यार अपना काम करो चिंता मत करो …..फिर भी चिंता लिए हुए वह व्यक्ति अपना जीवन व्यतीत करता है जब तक की वह कार्यकाल समाम्प्त नहीं होता है, वह हर दिन हर रात घबराया हुआ व्यतीत करता फिर उसे दूसरा हितैसी एक नए बाबा जी का पता बताता है और वो महाशय उन नए बाबा जी के पास जाकर अपनी बीमारी का इलाज ले कर आते है इलाज में कोई एंटीबायोटिक टेबलेट या सीरफ नही बल्कि फूंक लगा हुआ कला टीका, शनि बाबा जी की अंगूठी व माला और न जाने क्या क्या ले कर आते है और बाद उनको उससे बड़ा आराम भी महसूस होता है …….
ये तो आम बात थी जो लगभग हर व्यक्ति इनका उपयोग करता है अब बात ये आती है की जरूरत अंधविश्वास पर कैसे पूरी तरह आश्रित हो जाती है ?
एक बार की बात है एक सज्जन जिनकी शादी हुए लगभग २ साल हो गए थे, उनका परिवार बहुत खुश था किसी भी चीज की कमी नहीं थी उनकी माता जी को लगता था की बस अब एक पोते की जरूरत है जो सायद घर के सभी सदस्य को लगता था, सबको को इन्तजार था उस नए महमान की ………………..
कुछ दिन बाद उनको सुझाव दिया गया की आप डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते , कहने पर उन्होंने वैसा ही किया डॉक्टर को दिखाया और फिर डॉक्टर ने कुछ दावा के साथ सुझाव दिया की सब कुछ ठीक हो जायेगा साल दो साल में ……
पर ये बात उनकी पत्नी को नागावार गुजरी उसने तुरंत अपनी माँ को फोन किया और सब बताया फिर उधर से जवाब आया की तुम परेसान मत हो मैं कल ही आ रही हूँ तुम्हारे पास, माता जी आती हैं और कहती है की चलो मेरे साथ और वो लोग पहुँच जाती है एक सिद्ध बाबा के पास जो बिना पूर्व समय नियुक्त किये नही मिलते है फिर भी वो लोग किसी तरह उनसे मिल ही गयीं और सारी दास्ताँ बताई तो बाबा ने आश्वासन दिया की की मैं सब ठीक कर दूंगा बस तुम्हे कुछ सामग्री मंगानी होगी जिसे मैं तुम्हारे घर में प्रस्थापित करूँगा जिससे तुम्हारे सरे दुःख दर्द दूर हो जायेंगे …….फिर क्या फिर तो माँ-बेटी खुशी-खुशी घर आकार सबको अपनी विगत बताती है सब खुश थे पर उन सज्जन के पिता जी खुश नहीं थे लेकिन करते भी क्या वो उनकी तो घर में कुछ चलती नहीं थी …..धीरे धीरे समय गुजरता गया और बाबा का जादू न चला सायद अब उन लोगो का विश्वास उठ गया था उस बाबा से क्यों की सज्जन की पत्नी की सहेली ने एक ऐसे हकीम का पता बताया जो सिर्फ हाथ फेर कर सब काम बना देते है वो लोग वह भी गयीं और फिर उतनी ही उत्सुकता से घर लौटी …. एक बार उनके घर के पास से गाय गुजर रही थी जो बहुत सजी-धजी थी उसके साथ एक लंबा-चौड़ा आदमी था जो उस सुन्दर गाय को संचालित कर रहा था, उस गाय की खास बात ये थी की वो आपके हर सवाल का जवाब हां या ना के इशारे में अपना सिर हिला कर देती थी फिर सज्जन की पत्नी को खयाल आया मैं भी पूछूंगी अपनी इक्षा और फिर वो गयी १० का नोट उस लंबे -चौड़े आदमी के हाथ में थमा दिया फिर तो आप समझ सकते हैं की उसने क्या अभिलाषा जाहिर की होगी गाय से, पता नहीं उस लंबे-चौड़े आदमी ने क्या किया की गाय ने अपना सिर पहले हां में फिर ना में हिलाया
इन सब से जादा दुःख उस गाय को था जो उनके सवालों का जवाब दे रही थी …… अब आप सोच रहे होंगे की गाय को कैसे दुःख हो सकता है, क्यों नहीं हो सकता है उसके अंदर भी जान है हृदय है और इक बहुत बड़ी फ़रियाद भी थी उस लंबे-चौड़े आदमी से जो उससे जबरजस्ती सिर हिलाने में मजबूर करता था, वो आदमी अपने हाथ में एक नुकीली धार दार चल्ला पहने था जब कोई व्यक्ति गाय से कुछ पूछता तो वो आदमी वाही नुकीली धार दार चल्ला उसकी पीठ में मार देता था जिससे गाय मजबूरन अपना सिर हिलती कभी वो हाँ में होता तो कभी ना में, मैंने गाय की पीठ जरा ध्यान से देखी तो उसमे इतने घाव थे की ऐसे घाव अगर किसी इन्शान को हो जाये तो वो कभी सो न पाए पर वो दिख कहाँ रहे थे किसी को अपने भविष्य के आगे और उस पापी लंबे -चौड़े आदमी को चंद पैसे के आगे ………
हिंदू धर्म में गाये को भगवान स्वरुप माना गया है और उनमे सभी देवी-देवता वास करते है …..खैर जब जरूरत होती है तो ये सब कहा ध्यान नहीं रहता है ……
मैं फिर उसी कहानी को आगे बढाता हूँ, ये सब होते होते लगभग १ साल से जादा हो गए थे सज्जन के पिता जी के कहने पर सज्जन फिर डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर की बात सुनते ही उनके आंसू छलक गए वो खुसी का नजारा देखने लायक था सच में खुसी की बात थी की नया महमान घर आने वाला है ……पर घर में माता जी को अभी भी कुछ बात परेसान कर रही थी सायद उसका हल किसी के पास न था सिर्फ एक आदमी के अलावा और वो वही बाबा था जिसके पास माता जी सबसे पहले गयी थी, आप ये जरूर जानना चाहेंगे की माता जी का सवाल क्या था ?
सवाल ये था की बाबा जी ये सिर्फ आप ही बता सकते है की घर में लड़का होगा या लड़की ? बाबा ने फिर ना जाने क्या मन में बडबडाया और कहा की लड़की होगी जिससे माता जी का चेहरा उतर गया (मुझे विस्वास नहीं होता की वह खुद स्त्री होकर वह इतनी निर्दयी कैसे की बच्ची की खुशी नहीं हुयी ? ) वैसे तो बाबा क्या की उनके भी बाबा नहीं बता सकते थे की क्या होने वाला है लड़की या लड़का ……
ये तो सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर ही बता सकते थे पर उनके सीने में सब के लिए दिल धड़कता था उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया और पुलिस को बताने की धमकी भी दे डाली जिससे माता जी का तो जोर खतम हो गया पर जबरजस्ती नहीं …….
फिर वो खुशी की घडी आ गयी और घर में पुत्र ने जन्म लिया वो बिचारा बच्चा अभी-अभी इस दुनिया में आया ही था की तुरंत माता जी फिर उसी बाबा के पास गयी और उस बच्चे की कुंडली बनवाया फिर उसका भविष्य भी पूछा बाबा ने कहा सब तो ठीक-ठाक है पर बच्चे को काल सर्प योग है और आप परेशान मत होइए इसका भी इलाज है मेरे पास, बस आपको कुछ पूजा करवानी पड़ेगी जिसमे लगभग एक से सवा लाख तक खर्च आएगा,माता जी दूसरे बाबा के पास गयी तो उसने अपनी अलग ही कुंडली बनायीं और कुछ नया ही रोग और नया ही उपचार बताया ये सिलसिला चलता रहा अब बच्चा बड़ा हो गया है और खुसी-खुसी अपनी जिंदगी जी रहा है …………….

क्यों देखते हो लकीरे हाँथ की,
किस्मत उनकी भी होती हैं जिनके हाँथ नहीं होते ||


मेरा नाम आपको पता है फिर भी अनिकेत मिश्रा है मेरा नाम एक हिंदू परिवार में जन्म हुआ है १९ वर्ष की आयु में मैंने जो महसूस किया वो आप लोगो से बांटा है, आपको सायद कही न कही ये जरूर महसूस हुआ होगा की मैं नास्तिक तो नहीं अगर हाँ, तो आप गलत है और अंधविश्वासी भी हो सकते है , क्योकि मेरे अंदर भी आस्था है इश्वर के प्रति और जागरूकता भी है अंधविश्वास के प्रति,
मेरे ये समझ में नहीं आता की ये बाबा लोग इतना ज्ञान लाते कहाँ से है और इसका फल जाता कहा हैं, अगर ये इतने ही सच्चे है और इनके पास दुनिया के सभी समस्या के हल है तो सरकार सी.बी.आई. की मदद लेने की जगह इन बाबा लोगो से क्यों नहीं कहती है ये लोग क्यों नहीं अपराध रोकने में पुलिस की मदद करते है , क्यों नहीं दाउद को मन्त्र मार कर अपने वश में कर लेते है, क्यों नहीं लुटती आबरू को बचा पाते है, क्यों नहीं भ्रष्टाचार रोक पाते है ?????
मैं आप से बस इतना कहना चाहता हूँ की अपने भविष्य में इतना भी लीन मत हो की अपना वर्तमान भूल जाये, और अपने वर्तमान को बिगाड़ ले और जब तक अपना वर्तमान सही से नहीं चलाएंगे तब तक भविष्य भी सही नहीं हो सकता हैं |

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