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मेरा जीवन मेरी किश्मत

सुकून मिलता है दो लफ़्ज कागज पर उतार कर, कह भी देता हूँ और ....आवाज भी नहीं होती ||
सुकून मिलता है दो लफ़्ज कागज पर उतार कर, कह भी देता हूँ और ....आवाज भी नहीं होती ||
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जिस कदर मिले तुम मुझे पर दिल को रास ना आए
देखता हूँ गरदिश में सिर्फ तुझे पर कभी पास ना आए
आँखो मे चमकतें हैं सितारे तेरी नजरों के खातिर
निकलते हैं अरमान दिल से तेरी खुशियों के खातिर
फिर भी अनिकेत के मन को कभी आस ना आए
जिन्दगी जीता हूँ गम को महसूस करने के खातिर
फरियादी तो दूर अब दरियाबादी भी पास ना आए
एक रात बस चाँद को देखने की ही चाहत थी
पर चाँद को सायद किसी और की राहत थी
कोसा किस्मत को उस रात जब चाँद ना मिला
किस्मत भी क्या करती वो अमावस की रात थी
तब लगा कि हम भी ना थे किश्मत के खातिर
कुछ भी कहो पर मेरा भी दिमाग था शातिर
जब न दिखा चाँद तो उस रात नींद न आई
सुबह सूरज कि रश्मि को देख कर ली अंगड़ाई
नहीं थी चाँद में रोशनी जब तक सूरज न था
उस दिन से मेरे लिए चाँद का राजा सूरज ही था
तुम आये न आये मेरे जीवन में कुछ भी सूना न था
सिर्फ किश्मत के खातिर मुझे जीवन में रोना न था
जी रहा हूँ खुश रह कर अपनी कीमती जिंदगी
सिर्फ तेरी खुशियों के खातिर अपने कीमती आंसू को खोना न था ||

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